Introduction of Barrister Thakur Chhedilal

जन्मः- बिलासपुर अंचल के महानतम् स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल का जन्म अकलतरा के प्रतिष्ठित जमींदार परिवार में 18 सितंबर 1886 को तीज के दिन हुआ।

पिताः- आपके पिता श्री पचकोड सिंह थे।

शिक्षाः- हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत पर पूरा अधिकार रखने वाले ठाकुर साहब ने प्रयाग के म्योर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के पश्चात् उच्च शिक्षा हेतु ऑक्सफोर्ड गये, जहाँ आपने इतिहास में एम.ए., एल.एल.बी.तथा बार-एट-लॉ की उपाधि प्राप्त की।

जीवन यात्राः-लंदन में ही आप इंडिया हाऊस नामक क्रांतिकारी संगठन के सम्पर्क में आए तथा फ्रांस में आपने बम निर्माण का प्रशिक्षण लिया। 1919 से स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय 1921 में बनारस वि.वि. एवं 1922 में गुरुकुल कांगडी में कुछ समय तक अध्यापन का कार्य किया तथा 1926 तक प्रयाग की सेवा समिति के संचालक रहे ।आपने अपनी विद्वत्ता से कानून के क्षेत्र में बहुत कीर्ति अर्जित की परन्तु आपका राष्ट्रप्रेमी मन शीघ्र ही विचलित हो गया और आप वकालत छोडकर सक्रिय राजनीति में उतर पडे। श्रमिकों में जागृति फैलाने हेतु 1927 से 1932 तक आपने श्रा वी.वी.गिरी के सानिध्य में बंगाल भानपुर रेलवे श्रमिक संघ के उच्च पदों को सुशेभित किया तथा जल्द ही अपनी योग्यता एवं अद्भुत साहस से अन्तप्रांतीय राजनीतिज्ञों के प्रमुख बन गये। प्रारंभ में आपका झुकाव स्वराज्य पार्टी की ओर रहा परन्तु 1928 में आप महात्मा गांधी से प्रभावित होकर कांग्रेस में आ गये।बिलासपुर अंचल में जागृति पैलाने हेतु आपने रामलीला के मंच से राष्ट्रीय रामायण का अभिनव प्रयोग किया। 1932 ई. में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको 2500 रुपये अर्थदण्ड पटाना पडा । आप 1932 ई. में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा1932 ई. में संयुक्त प्रांतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे। सविनय अवज्ञा आंदोलन में आपने महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया।आपका कार्य मुख्यतः जनता के मध्य था । 1937 में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में विजयी होने पर विधायक रहे तथा 1946 में संविधान सभा के सदस्य रहे ।

निधनः- सन् 1956 ई. में आपका निधन हो गया ।